Sunday, December 6, 2009

लगातार घोर शोषण और लूट को झेलते बिहार व उत्तर प्रदेश के मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा




पुलिस और मालिकों के गुंडों की खुली मिलीभगत






लगातार हो रहे घोर शोषण और लूट से त्रस्त लुधियाना में कार्यरत बिहारी व उत्तर प्रदेश के मजदूरों का रोषपूर्ण जुलुस और प्रदर्शन और उसके बाद वहशी पंजाब पुलिस के कारनामे के कुछ मर्मस्पर्शी दृश्य

ये फोटो बता रहे हैं कि पंजाब पुलिस, स्थानीय गुंडों और फैक्ट्री मालिकों के जरखरीद लम्पटों की खुली मिलीभगत है। मजदूरों के लिए जरूरी है कि वे इस बात से सबक लें और फौरी तौर पर अपने को वहां संगठित करें जहाँ वे श्रम अर्थात काम करते हैं। यह तो असंभव है कि अब से वे बाहर जायेंगे ही नहीं, कारण यह कि जब तक यह पूंजीवादी व्यवस्था है, तब तक न तो रोजी-रोटी के लिए उनका बाहर जाना बंद हो सकता है और न ही रोज-रोज उनका उजड़ना ही बंद हो सकता है। जहाँ तक नितीश कुमार का प्रश्न है, वे जरूर आने वाले बिहार चुनाव का ख्याल रखते हुए पंजाब में मजदूरों की पिटाई के खिलाफ बोल रहे हैं, परंतु वे स्वयं एक पूंजीवादी शासक ही हैं। क्या उनके बिहार में पुलिस मजदूरों के साथ घिनौना व्यवहार नहीं करती है? क्या नितीश कुमार की यानी बिहार की पुलिस आंदोलनरत मजदूरों व आम लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार नहीं करती है जैसा कि पंजाब पुलिस कर रही है ? पूंजीवादी व्यवस्था में पुलिस का यही रवैया हर जगह है। मजदूर-गरीब और मेहनतकश जनता को एकमात्र अपनी एकता और अपने संगठन की ताकत पर ही भरोसा करनी चाहिए। मजदूर वर्ग की एकता ही उनकी एकमात्र ताकत है।

2 comments:

  1. हो गयी है पीड़ पर्वत सी, पिघलनी चाहिए !
    इस हिमालय से कोई गंगा, निकालनी चाहिए !!

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  2. यह सब सही है आगे की बात करिए, रास्ता क्या है, मैं ख़ुद एक मजदूर हूँ और दिल्ली में कार्यरत हूँ।

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