अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को नोबेल शान्ति पुरुष्कार आख़िर क्यों?
आज नोबेल कमिटी ने इस वर्ष के लिए 'प्रतिष्ठित' नोबेल शान्ति पुरुष्कार के लिए बराक ओबामा के नाम की घोषणा कर दी। दुनिया में कई लोग होंगे जिन्हें इस पर आश्चर्य हो रहा होगा। मैं भी ऐसे लोगों में से एक हूँ। फिर मैं गंभीरता से इस पर विचार करता हूँ तो यह बात शीघ्र ही स्पष्ट हो जाती है कि इस बात पर आश्चर्य करना निरी मूर्खता ही है। अब तक मिले नोबेल शान्ति पुरुष्कारों पर गौर करें तो यह ज्ञात होता है और इस बात का स्पष्टीकरण मिल जाता है कि स्वयं यह पुरुष्कार ही क्यों धीरे-धीरे विवादास्पद होता गया है। कुछ नामों को छोड़कर नोबेल शान्ति पुरूश्कारों से नवाजे गए ज्यादातर लोग शान्ति के विपरीत आचरण करने वाले रहे हैं। हाँ, सब कुछ के बावजूद, बराक ओबामा एक ऐसे 'नए' व्यक्ति का नाम है जो अपने काले रंग और होशियारी से तैयार किए गए भाषणों के कारण अभी-अभी, कुछ ही दिनों पहले, लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचा है और जिसके साम्राज्यावादी मंसूबों पर अभी भी एक झीना आवरण पड़ा हुआ है। इस लिहाज़ से नोबेल शान्ति पुरुष्कार के लिए बराक ओबामा का नाम आने से फिलहाल दुनिया के 'प्रगतिशील' जमातों में "हंगामा" शायद न हो। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतेगा और बराक ओबामा अपने वित्तपोषकों के पक्ष में अधिकाधिक और ज्यादा से ज्यादा खुले तौर से खड़े होंगे, वैसे-वैसे एक बार साबित होगा कि नोबेल शान्ति कमिटी का यह फैसला भी उतना ही गया गुजरा और साम्राज्यवादपक्षीय है जितना कि इसके पहले के अधिकांश फैसले।
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